दल बदल विरोधी कानून
सियासी परिवर्तन चर्चा में क्यों इस कानून की महत्वता तब बढ़ जाती है जब किसी भी चुनाव में कोई भी दल अकेले स्वयमेव बहुमत के आंकड़े को पाने में नाकाम हो जाता है और मजबूरन गठजोड़ की सरकार हर संभव तरीके से बनाने को विवश हो जाता है तथा कानून की चर्चा तब भी बढ़ जाती है जब चलती हुई गठजोड़ की सरकारों में अपने सहयोगी दलों का आपसी मेलजोल बिखर रहा हो या आपसी मत भिन्नता सार्वजनिक हो रही हो फिर चाहे वह केंद्रीय सत्ता की हो या राज्य विधान मंडलों की वर्तमान स्थिति में केंद्रीय सत्ता अपने स्थायित्व के चरम पर है किंतु कुछ राज्य विधानमंडल जैसे कर्नाटक व मध्य प्रदेश गठजोड़ के डगमगाते चरम बिखराव पर हैं क्या है दल बदल विरोधी कानून 52 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा सांसदों तथा विधायकों द्वारा एक राजनीतिक दल से दूसरे राजनीतिक दल में दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता अर्थात अयोग्यता का प्रावधान इस नियम के अंतर्गत किया गया है इस हेतु संविधान के 4 अनुच्छेदों में परिवर्तन किया गया है तथा संविधान में एक नई अनुसूची दसवीं अनुसूची जोड़ी गई है इस अधिनियम को सामान्यता दल बदल कानून कहा जा